भारतीय नौसेना और देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 5 जून को वरुणास्त्र हैवीवेट टारपीडो का पहला 'लड़ाकू' परीक्षण किया।
यह स्वदेशी एचडब्ल्यूटी नौसेना की पनडुब्बी-रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा और इसे एक दुर्जेय बल बनाएगा।
टॉरपीडो को एक पनडुब्बी से दागा गया और 40 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा गया।
यह परीक्षण भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में अरब सागर में आयोजित किया गया।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के विज़ाग स्थित नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला (NSTL) ने 'वरुणास्त्र' मिसाइल प्रणाली को डिज़ाइन किया है और इसका उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा किया जा रहा है।
वरुणास्त्र HWT एक विद्युत चालित टारपीडो है जो पनडुब्बी रोधी और जहाज रोधी संचालन में सक्षम है। इसकी अधिकतम स्ट्राइक रेंज 40 किलोमीटर है और यह 600 मीटर की अधिकतम गहराई पर 70 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा कर सकता है।