इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग' की कार्बन-डेटिंग की अनुमति दी है।
अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद के परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' की संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना उसकी कार्बन डेटिंग प्रक्रिया कराने का आदेश दिया।
मस्जिद के अधिकारियों का कहना है कि यह 'वज़ू खाना' में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहाँ नमाज़ से पहले वुज़ू किया जाता है।
मस्जिद के तालाब परिसर को 16 मई, 2022 को सील कर दिया गया था, क्योंकि उसी दिन अदालत के एक आयोग के सर्वेक्षण के दौरान तालाब में एक कथित 'शिवलिंग' पाया गया था।
ज्ञानवापी मस्जिद भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक वाराणसी में स्थित 17वीं सदी की मस्जिद है।
कार्बन डेटिंग बहुत पुरानी वस्तुओं में कार्बन के विभिन्न रूपों की मात्रा को माप कर उनकी आयु की गणना करने की एक विधि है।
कार्बन-14 कार्बन का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक है जो ऊपरी वायुमंडल में उत्पन्न होता है जब ब्रह्मांडीय किरणें नाइट्रोजन परमाणुओं के साथ परस्पर क्रिया करती हैं।
लगभग 50,000 वर्ष पुरानी सामग्री की आयु निर्धारित करने के लिए कार्बन डेटिंग का उपयोग किया जा सकता है।
कार्बन डेटिंग पुरातत्व, भूविज्ञान और अन्य क्षेत्रों में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है।